Saturday, August 11, 2007

शौक़ हर रन्‌ग रक़ीब-ए सर-ओ-सामां निक्‌ला

शौक़ हर रन्‌ग रक़ीब-ए सर-ओ-सामां निक्‌ला
क़ैस तस्‌वीर के पर्‌दे में भी `उर्‌यां निक्‌ला

ज़ख़्‌म ने दाद न दी तन्‌गी-ए दिल की या रब
तीर भी सीनह-ए बिस्‌मिल से पर-अफ़्‌शां निक्‌ला

बू-ए गुल नालह-ए दिल दूद-ए चिराग़-ए मह्‌फ़िल
जो तिरी बज़्‌म से निक्‌ला सो परेशां निक्‌ला

दिल-ए हस्‌रत-ज़दह था माइदह-ए लज़्‌ज़त-ए दर्‌द
काम यारों का ब क़द्‌र-ए लब-ओ-दन्‌दां निक्‌ला

थी नौ-आमोज़-ए फ़ना हिम्‌मत-ए दुश्‌वार-पसन्‌द
सख़्‌त मुश्‌किल है कि यह काम भी आसां निक्‌ला

दिल में फिर गिर्‌ये ने इक शोर उठाया ग़ालिब
आह जो क़त्‌रह न निक्‌ला था सो तूफ़ां निक्‌ला

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