Monday, October 22, 2007

आईनह देख अप्‌ना-सा मुंह ले के रह गये

आईनह देख अप्‌ना-सा मुंह ले के रह गये
साहिब को दिल न देने पह कित्‌ना ग़ुरूर था

क़ासिद को अप्‌ने हाथ से गर्‌दन न मारिये
उस की ख़ता नहीं है यह मेरा क़सूर था

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