तुम अप्ने शिक्वे की बातें न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से कि उस में आग दबी है
दिला यह दर्द-ओ-अलम भी तो मुग़्तनिम है कि आख़िर
न गिर्यह-ए सहरी है न आह-ए नीम-शबी है
The Urdu Ghazals of Mirza Asadullah Kha "GHALIB" (मिर्ज़ा ग़ालिब की उर्दू गजले)
1 comment:
mana teri rahmat hai musallam....IS THERE A GHALIB COUPLET OPENING WITH THESE WORDS/MANY THANKS.
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