Sunday, November 25, 2007

तुम अप्‌ने शिक्‌वे की बातें न खोद खोद के पूछो

तुम अप्‌ने शिक्‌वे की बातें न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से कि उस में आग दबी है

दिला यह दर्‌द-ओ-अलम भी तो मुग़्‌तनिम है कि आख़िर
न गिर्‌यह-ए सहरी है न आह-ए नीम-शबी है

1 comment:

Anonymous said...

mana teri rahmat hai musallam....IS THERE A GHALIB COUPLET OPENING WITH THESE WORDS/MANY THANKS.