क्यूंकर उस बुत से रखूं जान `अज़ीज़
क्या नहीं है मुझे ईमान `अज़ीज़
दिल से निक्ला पह न निक्ला दिल से
है तिरे तीर का पैकान `अज़ीज़
ताब लाए ही बनेगी ग़ालिब
वाक़ि`अह सख़्त है और जान `अज़ीज़
ईमान: Faith, religion, creed;
वाक़ि`अह : Event, occurence, incident;
अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो
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अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो
हम लोग जब मिले तो कोई दूसरा भी हो
तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है
मुझको मना रहा हैं कभी ख़ुद खफ़ा भी हो
तू बेवफ़ा नही...
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