तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा
कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगर्ना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है
जगजीत सिंह की आवाज़ मे सुने
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कुन्दन लाल सहगल की आवाज मे सुने
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7 comments:
आपने "ग़ालिब" की गजलों को पेश करने का जो बीड़ा उठाया है वह वास्तव मे एक सराहनीय कदम है. पर एक गुजारिश है कि कठिन उर्दू शब्दों के अर्थ भी दिया करें. वरना हम जैसे अल्पज्ञानी पाठक इससे वंचित रह जायेंगे.
आप के blog पे आ के और यहाँ बाल किशन जी की टिपण्णी पढ़ के अचानक ये ख़याल आया कि आप ग़ालिब की शायरी तो लोगों तक पहुँचा ही रहे हैं, क्यों न इसी तरह एक blog मीर तकी "मीर" का भी शुरू किया जाए. अभी बस कीड़े ने कुलबुलाना शुरू ही किया है - एकदम अभी-अभी आपका blog देखने के बाद.
आप का क्या ख़याल है ? ये नहीं जानता की "मीर" का कोई blog है पहले से .... लेकिन हो भी तो क्या फ़र्क़ पड़ता है ..... मीर को कई बार, बार-बार भी पढ़ा जा सकता है. खैर देखूँ, आगे क्या होता है ..
होसला अफजाई के लिए धन्यवाद, बाल किशन जी आपकी बात का मैं आगे से ध्यान रखूँगा | मीत जी जहाँ तक मेरा ख्याल है की मीर पर अभी तक कोई ब्लाग नही लिखा गया है | विचार अति उत्तम है शुरुआत कर देनी चाहिऐ | कुछ लिंक दे रहा हू आशा है इस काम मे उपयोगी साबित होंगे |
१) मीर पर हिन्दी विकिपीडिया लेख (अभी - अभी लिखा है)
२) दिवान - ए - मीर, देवनागरी, उर्दू और रोमन लिपि मे
मिर्जा गालिब की ghazalon का ब्लॉग देख कर दिल खुश हो gaya.apne जो mehnat की है vo sarahniy है jiske liye aapko badhai deta hoon.meri दुआ है की iske baad आप और भी naamcheen shayron के baare भी ब्लॉग लिख saken. goodluck.
dear nishant
your workk is great
keep doing so
mayank tyagi
nishant ji apne to kamal kar diya hai.
ghalib sahab ki gahjal padh kar dil khush ho jata hai
Great work...
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