एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब
ख़ून-ए-जिगर वदीअत-ए-मिज़गान-ए-यार था
अब मैं हूँ और मातम-ए-यक शहर-ए-आरज़ू
तोड़ा जो तू ने आईना तिम्सालदार था
गलियों में मेरी नाश को खेंचे फिरो कि मैं
जाँ दाद-ए-हवा-ए-सर-ए-रहगुज़ार था
मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा का न पूछ हाल
हर ज़र्रा मिस्ले-जौहरे-तेग़ आबदार था
कम जानते थे हम भी ग़म-ए-इश्क़ को पर अब
देखा तो कम हुए पे ग़म-ए-रोज़गार था
अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो
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अब तेरे मेरे बीच कोई फ़ासला भी हो
हम लोग जब मिले तो कोई दूसरा भी हो
तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है
मुझको मना रहा हैं कभी ख़ुद खफ़ा भी हो
तू बेवफ़ा नही...
4 comments:
मुझे हमेशा आश्चर्य होता रहा है जब देखता हूं कि कोई इतनी मेहनत कर रहा हो, लिख रहा हो, वह भी उम्दा..उसे लोग पढ नहीं रहे हैं, जबकि आलतू-फालतू आलेखों पर ढेरों टिप्पणियां देखता हूं। खैर..यह लेखक का दोष नहीं बल्कि उन पाठको का दोष है जो अच्छी चीजों से दूर छूट रहे हैं।
आपके ब्लॉग पर अपने एक मित्र के जरिये आना हुआ, और पूरी तरह संतुष्टि प्राप्त हुई..आना जारी रहेगा..आपकी लगन, जानकारी और गालिब चचा के वृहद विषय पर सतत लेखन देख कर हतप्रभ हूं..। आपको धन्यवाद दूंगा..
بہت خوب جناب آپکی محنت کو دیکھ کر ندی خوشی ہوئ
काश लोगो को फिर वाही शौक पैदा हो जो हमें इंसान का रुतबा अदा फरमाता हैं
Nishant Kumar ji Itna bahtareen blog hindi me shuru karne k liye dhero Badhaiya :)
mai Amitab ji baat se bilkul Sahmat hu , maine bhi pahle socha tha ki hindi me kuch kaam shuru karu lekin logo k mizaj badal rahe hai is liye Urdu shairy ka blog Urdu me hi shuru kiya Jo kafi safal raha ... Ab social webs ki wajah se readers milte hai is liye soch raha hu Dobara ye kaam Hindi me karu.
आपका बशीर बदर वाला ब्लाग भी देखा लेकिन पता नहीं वह मई क्यू टिप्पणी नहीं कर प रहा हु ?
हमेशा खुश रहिए !!
ढेरो शुभ कामनाए !1
Dr Saif Qazi
www.nuqoosh.blogspot.com
Sharing excerpt from "Few of Gaalib"..........
"Friends,
once again sharing "First sher" of DEEWAN-E-GAALIB.....then you decide at your own...what sort of personality he must be------
एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब
ख़ून-ए-जिगर वदीअत-ए-मिज़गान-ए-यार था
[वदीअत-some one else's property]
[मिज़गान- Eyelids]
[वदीअत-ए-मिज़गान- property of eyelids]
[वदीअत-ए-मिज़गान-ए-यार-property of "her" eyelids]
[I've to become accountable for each and every drop of my blood,...Because she has cried it out... drop by drop...]
Enjoy Few of Gaalib drop by drop.......
Dont get hurried with gaalib.
Regards
Vipul."
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